The Basic Principles Of hindi kahani
The Basic Principles Of hindi kahani
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हिंदी कहानी
पत्नी एक युवक के साथ लिपटकर सोई हुई थी. उस धनी युवक का दिमाग बिलकुल काम नही कर रहा था, मै विदेश में भी इसकी दिन ब दिन चिंता किये जा रहा था.
दुर्गहिन् राजा और दंतहिन् राजा और मदहिन् हाथी की तरह कमजोर हो जाता हैं.
इसलिए मुझे बहुत देरी हो गयी, आगे स्वामी को जो इच्छा हो करे. यह सुनकर भासुरक बोला- ऐसा ही हैं,
एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया.
क्योंकि मैं इन दोनों में से किसी की नही हूँ ! ये दोनों अवश्य मेरे हैं मैंने इनकी कई पीढ़ियों को पाला हैं और जाते हुए भी देखा हैं.
नोट : ये कहानी मेरी कल्पना से रचित है....इसमें लिखे डायलॉग और एक्ट चाहे फनी हो या सीरियस सब मेरे दिमाग से लिखें गए है तो कृपया नकल करने की कोशिश ना करे पढ़े और प्यार दे ...
वह धनी नवयुवक उस परेशान व्यक्ति के पास पंहुचा और उनसे ख़ामोशी का कारण पूछा
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं.
आप दोनों ही कल मेरे यहाँ भोजन पर आमंत्रित हो. भोजन के बाद बताउगा की कौन बुद्धि में श्रेष्ट हैं.
दोनों जब भोजन से निवृत हुए तो काफी शांत थे. उन्होंने महात्मा जी के चरणों में विनती की- महाराज !
संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं. सदैव सबका ही भला चाहते हैं.
मैंने उससे कहा- हम अपने स्वामी भरासुक के पास आहार के लिए जा रहे हैं.
तीसरा- पर मुझे तो प्यास बुझाने के लिए कुछ चाहिए.
कुछ समय तक दोनों ही महात्मा जी के मुह की ओर ताकते रहे फिर बोलर- किन्तु यह कैसे संभव हैं ? भूमि भी कभी बोलती हैं.